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# धर्मो रक्षथि रक्षितः ॥ Welcome Guest !!
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥                 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥                 ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥                 नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌ । छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌ ॥                 ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः ॥                
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